पहली पातशाही श्री गुरू नानक देव जी के विवाह पर्व पर बटाला में संगत की आमद शुरू

विवाह पर्व को समर्पित तैयारियों जोरों पर,534 वां विवाह पर्व मना रही है संगत

⇒13 सितंबर को बाबा नानक जी का विवाह पर्व श्रद्धापूर्वक मनाया जाएगा

⇒गुरूद्वारा कंध साहिब और गुरूद्वारा डेहरा साहिब में संगत कर रही है सेवा

न्यूज4पंजाब ब्यूरो

बटाला। पहली पातशाही साहिब श्री गुरू नानक देव जी का विवाह पर्व इस बार 13 सितंबर दिन सोमवार को बहुत ही श्रद्धा -भावना से संगत द्वारा बटाला में मनाया जाएगा। इस बार संगत बाबा नानक जी का 534 वां विवाह पर्व मना रही है। बाबे के ब्याह की संज्ञा से प्रसिद्ध यह विश्व स्तरीय पर्व पिछले लंबे समय पारंपरिक तौर पर बटाला में मनाया जा रहा है। इस पर्व के अवसर पर पंजाब के अलावा भारत के अन्य राज्यों से संगत बटाला पहुंच कर इस पर्व का आन्नद लेती है।

लंगर हाल में लंगर की सेवा कर रही महिलांए

इस बार भी इस पर्व की तैयारियां सिविल,पुलिस प्रशासन और शिरोमणि गुरूद्वारा प्रबंधक कमेटी द्वारा पूरे जोरों से चल रही है। इस पर्व का केंद्र ब‌िंदू गुरूद्वारा श्री कंध साहिब और गुरूद्वारा डेहरा साहिब में संगत का आना शुरू हो गया है। उक्त दोनों ही गुरूद्वारों को संगत द्वारा खूबसूरत ढंग से सजाया जा रहा है। गुरूद्वारा कंध साहिब में विभिन्न रागियों द्वारा गुरबाणी का प्रवाह चल रहा है।

गुरूद्वारा कंध साहिब में पहुंची संगत

संगत आकर गुरूद्वारा साहिब में लंगरों की सेवा में लगी हुई हैं। गुरूद्वारा कंध साहिब को नया रंग रोगन कर दिया गया। वहीं हलवाईयों ने आने वाली संगत के लिए मिठाई जिसमें  शक्करपारे,बूंदी,नमकीन मट्ठी,जलेबी आदि शामिल हैं, तैयार कर दी है। संगत में एक अलग ‌ही उत्साह देखने को मिल रहा है। महिला लंगर हाल में संगत के लिए रोजाना ही लंगर तैयार कर रही है। वहीं बाबे के ब्याह पर्व के अवसर पर 11 सितंबर को बटाला के सभी गुरूद्वारों में अखंड पाठ साहिब का आरंभ किया जाएगा ,जिनके भोग 13 सितंबर को डाले जांएगे। 13 सितंबर को भोग डालने के बाद की गुरूद्वारा डेहरा साहिब से सुबह 8 बजे श्री पालकी साहिब में सुशोभित श्री गुरू ग्रंथ साहिब की छत्रछाया में पंज प्यारों की अगुवाई में बटाला में एक महान नगर कीर्तन का आरंभ होगा, जिसमें हजारों की संख्या में श्रद्धालुगण नत्मस्तक होंगे।

वहीं इस पर्व की तैयारियों के बारे में जानकारी देते हुए गुरूद्वारा कंध साहिब के मैनेजर गुरत‌िंदरपाल स‌िंह भाटिया ने बताया कि पिछले साल कोरोना के चलते संगत के चाव अधूरे रह गए थे मगर इस बार का संगत का इकटठ रिकार्ड तोड़ होगा। उन्होंने आगे बताया कि शिरोमणि गुरूद्वारा प्रबंधक कमेटी द्वारा गुरूद्वारा साहिब के लंगर हाल में पिछले सात दिनों से हलवाई काम कर रहें है और संगत के लिए क्विंटलों के हिसाब से सब्जियां,मिठाईयां बना रहें हैं।

गुरूद्वारा कंध साहिब और गुरूद्वारा डेहरा साहिब का ऐतिहासिक महत्व।

बटाला का विश्व प्रसिद्ध गुरूद्वारा कंध साहिब।

ऐतिहास के अनुसार गुरूद्वारा कंध साहिब वह स्थान है जहां बाबा नानक जी बारात लेकर बटाला आए तो उन्हें उस समय वहां पर एक कच्ची कंध (दीवार) के पास बिठा दिया था,तब किसे ने बाबा जी से कहा कि वह उस दीवार से थोडा हटकर बैठ जांए,वह कच्ची हैं और कहीं गिर न जाए। तब बाबा नानक जी ने जवाब में कहा था कि यह कंध युगो-युग तक रहेगी। तभी उस स्थान पर एक गुरूद्वारा साहिब का निर्माण किया गया और उस गुरूद्वारा साहिब का नाम गुरूद्वारा कंध साहिब रखा गया। आज भी उस समय की कच्ची कंध सुरक्षित खड़ी है और उस ऐतिहासिक कंध को शीशे के फ्रेम में कवर किया गया है। गुरूद्वारा डेहरा साहिब वह स्थान है जहां पहली पातशाही श्री गुरू नानक देव जी की शादी के फेरों की रस्म हुई थी। उक्त दोनों ‌ही गुरूद्वारों का महत्व विश्व-स्तरीय है।

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