भारत के ब्रॉन्ज मेडल की जीत के लिए जर्मनी के खिलाफ दो गोल करने वाले सिमरनजीत सिंह के घर में जश्न का माहौल

•सिमरनजीत सिंह बटाला के गांव चाहल कलां के रहने वालें है।

• लड्डू बांटे,ढोल पर थिरके सिमरनजीत के पारिवारिक सदस्य।

•बहन नवनीत ने कहा- उसका भाई भारतीय हाकी टीम के लिए लक्की।

•टोक्यो ओलंपिक में भारतीय पुरष हाकी टीम ने जर्मनी को 5-4 से हराकर ब्रॉन्ज मेडल जीता।

41 साल के बाद भारतीय पुरष हाकी टीम ने रचा एतिहास

न्यूज4पंजाब ब्यूरो

बटाला,(गुरदासपुर),5अगस्त,(विक्की कुमार)-ओलंपिक में भारतीय पुरष हाकी टीम ने जर्मनी को 5-4 से हराकर ब्रॉन्ज मेडल जीत कर 41 साल के बाद एतिहास रचा दिया है। इस इतिहास में बटाला के गांव चाहल कलां के रहने वाले सिमरनजीत सिंह का नाम भी सुनहरी अक्षरों में लिखा जाएगा, जिसने जर्मनी के खिलाफ दो गोल दाग कर हिंदूस्तान की टीम की विजय पताका लहराने में अपना अमुल्य योगदान दिया। भारत की हाकी टीम द्वारा ब्रॉन्ज मेडल प्रात्त करने के बाद बटाला के गांव चाहल कलां में सिमरनजीत सिंह के घरवालों ने खूब जश्न मनाया। खुशी में जहां लड्डू बांटे गए वहीं ढोल की ताल पर पैर भी थिरके। पारिवारिक सदस्यों के लिए खुशी का कोई ठिकाना ही नही था। वहीं सिमरनजीत की बहन नवनीत कौर को अपने भाई पर पूरा भरोसा था कि उसका भाई जर्मनी के खिलाफ अपने खेल का जादू जरूर दिखाएगा और सिमरनजीत ने जर्मनी के खिलाफ दो गोल करके दिखा दिया। 

     पारिवारिक सदस्य विक्टरी का चिन्ह्र बनाकर खुशी साझी करते हुए।

इस संबंध में जानकारी देते हुए टीम इंडियां के खिलाडी सिमरनजीत सिंह की बहन नवनीत कौर और भाई सतिंदरजीत सिंह ने बताया कि वाहे गुरू ने उनकी अरदासों को फल लगाया है। उन्होंने बताया कि उनको बहुत ही खुशी है कि टीम इंडियां ने अपना बढ़िया प्रदर्शन करके जर्मनी को हराकर ब्रॉन्ज मेडल जीता है। टीम की प्रशंसा करने के लिए उनके पास शब्द ही नही हैं। उन्होंने बताया कि उनके भाई सिमरनजीत सिंह ने जर्मनी के खिलाफ दो गोल करके भारत की इस विजय में अपना अहम रोल निभाया है। सिमरनजीत सिंह के खेल की वजह से केवल देश का ही नही ब्लकि पूरे जिले गुरदासपुर का नाम भी रौशन हुआ है। बहन नवनीत कौर का कहना है कि उसका भाई सिमरनजीत सिंह भारतीय टीम के लिए लक्की रहें हैं क्यों कि सिमरनजीत दो मैच नही खेले थे और बदकिस्मती से दोनों में मैचों में इंडियां की हार हुई थी। सेमिफाइनल में भी सिमरनजीत सिंह रेस्ट पर थे। लेकिन उसे पूरा यकीन था कि जर्मनी के खिलाफ अगर उसका भाई सिमरनजीत सिंह खेला तो हिंदूस्तान जरूर जीतेगा और उसकी बात सच हुई। सिमरनजीत सिंह द्वारा किए पहले गोल ने भारत की टीम का हौंसला बढ़ा दिया और उसके बाद दूसरा गोल दोबारा किया तो पूरे परिवार की खुशी का कोई ठिकाना ही नही रहा।  उसके भाई सिमरनजीत सिंह ने दो गोल करके टीम इंडियां को जीत दिलाने में अपना अहम योगदान दिया है। उनके सारे परिवार को सिमरनजीत सिंह पर गर्व है।

 

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