जगजीत सिंह जैसे रणबांकुरों के शौर्य व बलिदानों के सदके है राष्ट्र की एकता व अखंडता बरकरार-बलविंदर

  • सीआरपीएफ की 219 बटालियन के शहीद इंस्पेक्टर जगजीत सिंह का तीसरा श्रद्धांजलि समारोह आयोजित।

न्यूज4पंजाब ब्यूरो
बटाला,8 मार्च। सीआरपीएफ की 219 बटालियन के शहीद इंस्पेक्टर जगजीत सिंह का तीसरा श्रद्धांजलि समारोह शहीद सैनिक परिवार सुरक्षा परिषद के महासचिव कुंवर रविंदर सिंह विक्की की अध्यक्षता में रविवार को गांव कोटला शरफ में आयोजित किया गया। जिसमें कैबिनेट मंत्री तृप्त रजिंदर सिंह बाजवा के प्रतिनिधि के तौर पर मार्किट कमेटी बटाला के पूर्व चेयरमैन बलविंदर सिंह कोटला बामा बतौर मुख्य मेहमान शामिल हुए। इनके अलावा शहीद की माता नरिंदर कौर, पत्नी सीडीपीओ रछपाल कौर, बेटे गुरनूर सिंह व सहबाज सिंह, भाई दलजीत सिंह, नेशनल अवार्डी डा. परमजीत सिंह कलसी, शहीद के बैचमेट इंस्पेक्टर सरवन यादव, इंस्पेक्टर बिमल कुमार सेनापति, इंस्पेक्टर संतोश कुमार साहू, सीआरपीएफ के ग्रुप सेंटर जालंधर के सहायक कमांडेंट अंकुश कुमार, सीडीपीओ बटाला वरिंदर सिंह गिल, महिला आयोग पंजाब की वाईस चेयरपर्सन अमृतवीर कौर वालिया, ब्लाक फतेहगढ़ चूडिय़ा की चेयरमैन सतिंदर सिंह पिंका आदि ने विशेष मेहमान के तौर पर शामिल होकर शहीद को श्रद्धासुमन अर्पित किए। सर्वप्रथम श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी का भोग डालते हुए रागी जत्थे द्वारा वैरागमयी कीर्तन कर शहीद को नमन किया गया। समारोह को संबोधित करते हुए बलविंदर सिंह कोटला बामा ने कहा कि शहीद इंस्पेक्टर जगजीत सिंह जैसे रणबांकुरों के शौर्य व बलिदानों के सदके ही राष्ट्र की एकता व अखंडता बरकरार है। उन्होंने कहा कि हालात चाहे कैसे भी हों, मगर एक सैनिक राष्ट्रहित को प्राथमिकता देते हुए अपने प्राणों की आहुति देकर देशवासियों में देशभक्ति की अलख जगा जाता है। उन्होंने कहा कि सरकारें शहीदों के सम्मान में जो कुछ भी कर रही है, वो कोई अहसान नहीं है और न ही इनकी अमूल्य शहादत का मोल सिर्फ शहीद परिवारों का सम्मान बहाल रखने का उनका यह छोटा सा प्रयास है।
शहीदों के लहू से प्रज्जवलित है आजादी की शमां-कुंवर विक्की।
परिषद के महासचिव कुंवर रविंदर सिंह विक्की ने कहा कि आजादी की शमां शहीदों के लहू से प्रज्जवलित है। जिसकी वजह से देश का आम नागरिक अमन व चैन की ले रहा है। उन्होंने कहा कि शहीद इंस्पेक्टर जगजीत सिंह जैसे जांबाज सैनिक देश का गौरव है। जिसने 38 वर्ष की अल्पायु में अपनी शूरवीरता का परिचय देते हुए अपने साथी सैनिकों को बचाकर सीने पर गोली खा अपना बलिदान देते हुए बहादुर की जो इबारत लिखी इससे देश की भावी पीढ़ी हमेशा प्रेरणा लेती रहेगी। उन्होंने कहा कि शहीदों की जन्म भूमि जिला पठानकोट व गुरदासपुर की बलिदानी मिट्टी ने असंख्य लाल देश की बलिवेदी पर कुर्बान किए है। आज देश की सीमाएं इस लिए महफूज है कि इंस्पेक्टर जगजीत सिंह जैसे जांबाज सरहदों पर प्रहरी बन दुश्मन की हर चुनौती का मुंह तोड़ जवाब दे रहे हैं।
श्रद्धासुमन अर्पित करते वक्त शहीद जगजीत सिंह के बेचमैंट सरवन यादव के आंसू छलक उठे।
शहीद इंस्पेक्टर जगजीत सिंह के बैचमेट सरवन यादव जब अपने साथी को श्रद्धासुमन अर्पित करने लगे तो उनकी आंखें बरबस छलक उठी। उन्होंने कहा कि उसने और जगजीत सिंह ने एक थाली में खाना खाया है। एक सैनिक के लिए अपने साथी को खोना दुनिया का सबसे बड़ा दुख है। उन्होंने कहा कि जगजीत की शहादत से सीआरपीएफ ने एक अमूल्य हीरा खो दिया है। उनके बलिदान से हमारे जांबाज हमेशा प्रेरणा लेते रहेंगे।
परिषद ने लगाया शहीद परिवारों के जख्मों पर मरहम- परमजीत कलसी
नेशनल अवार्डी डा. परमजीत सिंह कलसी ने कहा कि जब भी कोई सैनिक शहीद होता है तो वह परिवार जिंदा लाशें बनकर रह जाते हैं। मगर शहीद सैनिक सुरक्षा परिषद इन परिवारों के जख्मों पर मरहम लगा उन्हें फिर से पैरो पर खड़े करते हुए उन्हें जीने का मकसद प्रदान करती है। सारे समाज को ऐसी संस्था से प्रेरणा लेकर शहीद परिवारों के मान-सम्मान की बहाली हेतु प्रयास करने चाहिए। इस अवसर पर मुख्यातिथि द्वारा शहीद के परिजनों समेत दस अन्य शहीद परिवारों को शाल भेंटकर सम्मानित किया। इस अवसर पर शहीद कांस्टेबल मनिंदर सिंह के पिता सतपाल अत्तरी, शहीद सिपाही जतिंदर कुमार के पिता राजेश कुमार, शहीद सिपाही मक्खन सिंह के पिता हंस राज, शहीद लांसनायक संदीप सिंह शौर्य चक्र के पिता जगदेव सिंह, सरपंच लखविंदर सिंह, प्रिंसिपल लखविंदर कौर बाजवा, अमनदीप सिंह, तलविंदर सिंह, जतिंदर सिंह, बरजिंदर सिंह, सरपंच प्रभदियाल सिंह आदि उपस्थित थे।

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