लोहड़ी पर पतंगबाजों की पतंगें बिना उड़े ही रह गईं

-बरसात का पतंबाजों पर कहर,पतंगबाज हुए निराश

-सारा दिन पतंगबाज आसमान की तरफ देखते रहे कि कब बरसात थमे, कब वह पतंगबाजी करें

-एक दिन पहले ही की गई तैयारियां धरी की धरी रह गई

(रघुवंशी)

बटाला। हर साल लोहड़ी के त्योहार का इंतजार हर किसी को रहता है मगर लोहड़ी के त्योहार का सबसे ज्यादा इंतजार पतंगबाजों को रहता है। पतंगबाजी ही लोहडी का मुख्य आकर्षण रहता है। इस बार सोमवार को लोहड़ी के असवर पर पतंगबाजों से भगवान कुछ नाराज ही दिखे क्योकिं लोहड़ी वाले पूरे दिन ही बरसात होती रही जिससे पतंगबाजों के रंग में भंग पड़ गया। पतंगबाज रविवार की रात को ही भारी संख्या में पतंग और डोर ले आए थे और रात ही लोहड़ी वाले दिन की तैयारी कर ली थी लेकिन जैसे ही सोमवार सुबह उठे तो पंतगबाजों की उमंगे निराशा में बदल गई,जब उन्होंने बाहर बरसात देखी। सभी की गई तैयारियां धरी की धरी रह गई। लोहड़ी के त्योहर पर सारा-सारा दिन स्पीकरों की जो आवाजें आया करती थी और आसमान जो पतंगों से भरा रहता था,इस बार ऐसा कुछ भी नही देखने को मिला। सारा दिन पतंगबाज आसमान की तरफ ही देखते हुए मिले कि कब बरसात थमे, कब वह पतंगबाजी शुरू करें। भारी बरसात की वजह से पतंगबाजों की तैयारियां धरी की धरी रह गई। वहीं बरसात के चलते पतंगों की बिक्री और डोर की बिक्री पर भी बहुत ही बुरा प्रभाव पड़ा। दुकानदार ग्राहकों का इंतजार करते नजर आए लेकिन दुकानों पर बरसात के चलते कोई ग्राहक नही दिखा। इसके अलावा गांवों से शहरों में गन्ने का रस बेचने वालों का भी बुरा हाल देखने को मिला। इतनी बरसात में खुले में कोई भी गन्ने का रस खरीदने वाला नही था। अगर बात करें लोहड़ी के चाव की तो इस बार बरसात ने लोहड़ी की खुशियों और पतंगबाजों की उमंगों को धो डाला। वहीं दुकानदार भी इस बार पतंगों और डोर की बिक्री कम होने की वजह से निराश ही दिखे। ज्यूं कहें कि भारी बरसात ने लोहड़ी का मजा किरकरा कर दिया तो कुछ गलत नही होगा।

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