बाबे दा ब्याह पर्व- श्री गुरू नानक देव जी के विवाह पर्व पर विशाल भव्य नगर कीर्तन सजाया
-भारी संख्यां में संगत हुई नतमस्तक,श्रद्धालुओं ने पूरे हर्षोउल्लास से मनाया बाबे का विवाह।
-श्री गुरू ग्रंथ साहिब जी की छत्रछाया में पांच प्यारों ने नगर कीर्तन की अगुवाई की।
-दो घंटे की भारी बरसात भी संगत की आस्था और उत्साह को हिला ना सकी।
विक्की कुमार की विशेष रिपोर्ट
बटाला। पहली पातशाही श्री गुरू नानक देव जी का 537 वां विवाह पर्व बटाला में संगत द्वारा पूरी श्रद्धा से मनाया गया। बाबा जी का विवाह बटाला की रहने वाली बीबी सुलखनी से हुआ था और बाबा नानक जी सुल्तानपुर लोधी से बारात लेकर बटाला पहुंचे थे। इसी विवाह पर्व को समर्पित सिख संगत के सहयोग से मंगलवार को एक विशाल एवं अलौकिक नगर कीर्तन निकाला गया। मंगलवार को बटाला के गुरूद्वारा डेहरा साहिब में दो दिन पहले शुरू किए गए श्री अखंड पाठ साहिब का भोग डालने के बाद श्री गुरू ग्रंथ साहिब को पालकी साहिब में सुशोभित करके पांच प्यारों की अगुवाई में इस भव्य नगर कीर्तन का आरंभ किया गया। इस भव्य नगर कीर्तन में स्थानीय संगत के अलावा सुल्तानपुर लोधी से पहुंची संगत भी शामिल हुई। वहीं इस नगर कीर्तन में अन्य राज्यों से भी संगत बटाला पहुंची। नगर कीर्तन की अगुवाई कर रहे पांच प्यारों को रास्ते में विभिन्न संगठनों ने सिरोपा भेंट करके सम्मानित किया। पालकी साहिब के आगे-आगे गतका पारटी के खिलाड़ी और निहंग सिंह अपनी युद्ध कला का अदभुद्ध प्रदर्शन बड़े ही बाखूबी ढंग से कर रहे थे। गुरू के प्रति आस्था इस हद तक थी कि करीब 100 लोग जिसमें महिलांए भी शामिल थी। श्री गुरू ग्रंथ साहिब की पालकी के आगे-आगे नंगे पांवों झाडूओं से रास्ते की सफाई कर रहे थे ।
नगर कीर्तन के दौरान जगह-जगह लंगर और ठंडे मीठे जल के स्टाल लगे हुए थे। बाबे के विवाह पर्व को लेकर बटाला के सभी गुरूद्वारों को सजाया गया था औैर गुरूद्वारों में गुरूबाणी का प्रवाह चल रहा था। बटाला स्वागती गेटों से भरा पड़ा था। नगर कीर्तन में ट्रालियों पर स्वार महिलाओं के कीर्तन जत्थे गुरू की बाणी का गुनगान करने में मस्त थे। बाबे के विवाह को लेकर बटाला शहर खचाखच भरा हुआ था क्योंकि बटाला के आस-पास के ग्रामीण क्षेत्रों के लोग भी मंगलवार सुबह सवेर ही बटाला पहुंच गए थे। सडक़ों के किनारे पर रागी,टाढ़ी और कविशर श्री गुरू नानक जी के जीवन और आर्दशों के बारे में लोगों को जानकारी दे रहे थे। मंगलवार को नगर कीर्तन गुरूद्वारा डेहरा साहिब से शुरू होकर पूरे शहर से गुजरते हुए देर रात को गुरूद्वारा श्री डेहरा साहिब में ही समाप्त हो गया। इस मौके पर शिरोमणि गुरूद्वारा प्रंबंधक कमेटी के सदस्य जत्थेदार गुरिंदरपाल सिंह गोरा और शिरोमणि गुरूद्वारा प्रबंधक कमेटी के प्रधान हरजिंदर सिंह धामी ने समूह संगत को उनके द्वारा दिए गए सहयोग के लिए धन्यवाद किया।
ऐतिहासिक गुरूद्वारा श्री कंध साहिब में श्रद्धालु हुए नतमस्तक।
मंगलवार सुबह सवेर से ही विश्व प्रसिद्ध एवं ऐतिहासिक गुरूद्वारा श्री कंध साहिब में तिल रखने के लिए भी जगह नही थी क्योंकि हरेक श्रद्धालु युगों-युगों से स्थापित ऐतिहासिक कच्ची कंध के दर्शन करने के लिए उत्सुक था। बतां दे कि आज भी गुरूद्वारा साहिब में ही उक्त ऐतिहासिक दीवार शीशे के फ्रेम में सुरक्षित है। मंगलवार सुबह करीब तीन बजे से ही गुरूद्वारा कंध साहिब में संगत का तांता लगना शुरू हो गया था। लाखों की संख्या में श्रद्धालु गुरूद्वारा कंध साहिब में नतमस्तक हुए।वहीं गुरूद्वारा साहिब के आस-पास के क्षेत्र में सुरक्षा के कड़े प्रबंध किए गए थे।
बरसात पर हावी रही संगत की आस्था।
मंगलवार को गुरूद्धारा डेहरा साहिब से नगर कीर्तन करीब आठ बजे शुरू हो गया। इसी दौरान करीब 10 बजे आसमान में काले बादल छा गए और झमाझम बरसात होने लगी। करीब दो घंटे तक भारी बरसात चलती रही मगर इस भारी बरसात के चलते संगत में उत्साह ,हौसला और आस्था में कोई कमी नही आई। श्रद्धालुओं की आस्था के सामने बरसात भी टिक ना सकी। चलती बरसात में भी संगत नगर कीर्तन में चलती रही।
मेले के दौरान बच्चों ने लिया झूलों पर आन्नंद।
बाबे के ब्याह पर्व पर मंगलवार को बटाला में लगे झूलों पर बच्चों ने खूब आन्नंद लिया। बच्चों के साथ बड़े और महिलांओं ने भी इन झूलों पर बैठ कर खूब मस्ती की। मेले के दौरान सब से ज्यादा लोगों की भीड़ झूलों के आस-पास देखने को मिली।
पुलिस प्रशासन दिखा पूरी तरह से मुस्तैद।
श्रद्धा और आस्था के अलावा इस पर्व के दौरान पुलिस प्रशासन भी लोगों की सुरक्षा को लेकर पूरी तरह से मुस्तैद दिखा। चप्पे-चप्पे पर पुलिस कर्मी तैनात थे। कुछ पुलिस कर्मी सिविल ड्रेस में भी पूरा माहौल पर अपनी पैनी नजर बनाए हुए थे।