इंसान मानवीय शरीर के महत्व को समझे ⇒श्री स्वामी मैत्रेयी गिरी जी महाराज

•कहा- तन की शुद्धि जल से तो मन की शुद्धि प्रभु सिमरण ही संभव।

•गुरदासपुर के गांव थानेवाल में धूमधाम से “श्री मदभागवत महापुराण” कथा शुरू।

•कथा के दौरान होली का पूर्व पूरी श्रद्धा से मनाया गया।

न्यूज4पंजाब ब्यूरो

गुरदासपुर। गांव थानेवाल में श्री अद्धैत स्वरूप आश्रम और गांव की संगत के सहयोग से “श्री मदभागवत महापुराण” कथा की शुरूआत सोमवार को बाद दोपहर हुई। सात दिवसीय इस कथा में विशेष रूप में संत बेअंतपुरी जी महाराज,संत विश्वासपुरी जी महाराज और संत शिवपुरी जी महाराज भी पहुंचे। कथा के अंत में होली के रंग बिरंगे रंगों से इस पर्व को बहुत ही श्रद्धा से मनाया गया। 

“श्री मदभागवत महापुराण कथा” करने के लिए विशेष अतिथि के रूप में पहुंचे  “श्री श्री1008 महामण्डलेश्वर श्री स्वामी मैत्रेयी गिरी जी महाराज” ने कथा के पहले दिन सोमवार को कथा से संबंधित प्रवचनों और भजनों से संगत को खूब निहाल किया।  महामण्डलेश्वर श्री स्वामी मैत्रेयी गिरी जी महाराज ने कथा के दौरान श्रद्धालुओं को इस जीवन में मिले मानवीय शरीर के महत्व के बारे में बताते हुए कहा कि मानव को जो शरीर मिला है,उसका बहुत ही महत्व है। इस मानवीय जीवन को प्रात्त करने के लिए देवी-देवता भी आतुर रहते हैं।   

 यह मानव जीवन प्रभु ने हमे नाम सिमरण के लिए के दिया है ना कि इस संसारिक माया में फंसने के लिए। उन्होंने कहा कि इस तन को जहां जल से शुद्धि मिलती है ,वहीं मन की शुद्धि प्रभु के सिमरण (भक्ति) से ही सकती है। उन्होंने कहा कि मनुष्य को अपने असली उदेश्य को कभी भी नही बुलना चाहिए। इस मौके पर उन्होंने श्री मदभागवत कथा की महत्ता के बारे में  जानकारी देते हुए कहा कि श्री मदभागवत कथा इंसान को एक आर्दश जीवन जीने का राह दिखाती है। कथा के पहले दिन सोमवार को शाम को आरती के बाद प्रसाद्ध भी वितरित किया गया। इस मौके पर समारोह प्रबंधक और गांव की समूह संगत मौजूद रही।

 

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