हरनाज कौर संधू ने मिस यूनिवर्स का ताज पहनकर अपने पैतृक गांव कोहाली का नाम किया रौशन।

•मिस यूनिवर्स हरनाज कौर संधू के पैतृक गांव कोहाली में खुशी की लहर।

•हरनाज के ताया और ताई ने लड्डू बांट कर खुशी मनाई।

विक्की कुमार

बटाला,13 दिसंबर- हरनाज कौर संधू के मिस यूनिवर्स बनने पर हरनाज के पैतृक गांव कोहाली में हरनाज के रिश्तेदारों और गांव वासियों ने लड्डू बांटे और खूब खुशी मनाई। इस मौके पर हरनाज संधू के ताया और ताई ने पुरानी एलबेंम देखकर अपनी यादों को ताजा किया। जैसे ही सोमवार को हरनाज के मिस यूनिवर्स बनने की खबर गांव वालों ने सुनी तो सभी खुशी से झूम उठे। बताया जा रहा है कि बटाला के गांव कोहाली में जन्मी हरनाज को पंजाबियत से बहुत लगाव है। हरनाज संधू ने सिर पर विश्व सुंदरी का ताज पहन कर विश्व भर में अपने परिवार और अपने पैतृक गांव कोहाली का भी नाम रोशन किया है।

बटाला के गांव कोहाली में हरनाज संधू के ताया-ताई का लड्डयों से मूंह मीठा करवाते हए।

हरनाज बहुत ही मीठे और मिलनसार  स्वभाव की लड़की-

इस संबंध में सोमवार को गांव कोहाली में बातचीत करते हुए हरनाज संधू के ताया जसविंदर सिंह और ताई लखविंदर कौर ने बताया कि उन्होंने कभी सपने में भी ऐसा नही सोचा था कि एक दिन बटाला के गांव कोहाली का नाम पूरी दूनिया में जाना जाएगा। उनका कहना है कि हरनाज एक बहुत ही मीठे स्वभाव वाली बेटी है। उन्होंने कहा कि वह अपनी खुशी को शब्दों में बयां नही कर सकते। हरनाज ग्रामीण रीति रिवाजों को भी पसंद करती है। उनके लिए यह सब सपना लग रहा था। सोमवार को उनकी बात चंडीगढ़ में हरनाज की माता के साथ बातचीत हुई है और उन्होंने उनको बधाई दी है। ताया जसविंदर सिंह ने बताया कि आम तौर वह केक नही खाते मगर 6 महीने पहले जब हरनाज गांव कोहाली आई तो हरनाज ने अपने हाथों से उनको केक खिलाकर गई थी।

कुछ महीने पहले जब हरनाज गांव कोहाली आई थी तो तब टैक्टर पर सवार को ग्रामीण माहौल का आन्नंद लेती हुई हरनाज संधू।

नन्ही हरनाज ने अपने दादा जी के भोग पर मिठास और आत्म-विश्वास से गुरबाणी का शबद गायन कर सभी को हैरानचकित किया था-

इस मौके हरनाज के एक अन्य रिश्तेदार सुखबीर सिंह निवासी गांव कोहाली ने बताया कि उन्हें इस बात का गर्व है कि उनके एक ग्रामीण परिवार से उठकर उनकी एक छोटी सी बच्ची ने आज विश्वस्तरीय मुकाम हासिल किया है। धार्मिक पक्ष को लेकर सुखबीर सिंह ने बताया कि जब हरनाज के दादा जी दर्शन सिंह संधू की मौत हुई थी ,तब उनके भोग के वक्त गांव के गुरूद्वारा साह‌िब में भारी संख्या में संगत इकट्ठी हुई थी, तब हरनाज ने छोटी सी उम्र में बहुत ही मिठास और आत्म-विश्वास से गुरबाणी का एक शबद गायन किया था । उन्होंने तभी ही हरनाज के आत्म-विश्वास और कला को पहचान लिया था।

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