बाबे का ब्याह- विशाल नगर कीर्तन के दौरान बटाला गूंज उठा खालसयी जैकारों से
⇒हजारों की संख्यां में संगत हुई नत्मस्तक,श्रद्धालुओं ने पूरे हर्षोउल्लास से मनाया बाबे का विवाह
⇒श्री गुरू ग्रंथ साहिब की छात्रछाया में पंज प्यारों ने नगर कीर्तन की अगुवाई की
न्यूज4पंजाब ब्यूरो
बटाला,13 सितंबर(विक्की कुमार)- पहली पातशाही साहिब श्री गुरू नानक देव जी औैर बीबी सुलक्खनी जी का विवाह पर्व बटाला में सोमवार को पूरे हर्षोउल्लास से मनाया गया। 11 सितंबर को बटाला के सभी गुरूद्वारों में रखे गए अखंड पाठ साहिब के भोग सोमवार सुबह डाले गए। इसके बाद सोमवार सुबह करीब साढे आठ बजे श्री अखंड पाठ साहिब के भोग डालने के बाद श्री गुरू ग्रंथ साहिब को पालकी साहिब में सुशोभित करके पंज प्यारों की अगुवाई में एक विशाल व भव्य नगर कीर्तन का आयोजन किया गया।
बटाला के गुरूद्वारा डेहरा साहिब से नगर कीर्तन की शुरूआत की गई। नगर कीर्तन के दौरान पूरा बटाला खालसयी जैकारों से गूंज उठा। नगर कीर्तन की अगुवाई कर रहे पंज प्यारों को रास्ते में विभिन्न संगठनों ने सिरोपा भेंट करके सम्मानित किया। इस नगर कीर्तन में हजारों की संख्या में श्रद्धालु शामिल हुए इसके अलावा इस नगर कीर्तन में सुल्तानपुर लोधी से बरात के रूप में बटाला पहुंची संगत ने भी शिरकत की। पालकी साहिब के आगे-आगे गतका पारटी के खिलाड़ी अपनी युद्ध कला का प्रदर्शन बड़े ही बाखूबी ढंग से कर रहे थे।
पिछले दो दिनों की भारी बरसात के बाद सोमवार को चमचमाती धूप निकल आई,जिससे श्रद्धालुओं के चेहरे खुशी से खिल उठे। वहीं इस बार संगत की संख्या पहले विवाह पर्वो के मुकाबले तीन गुणा ज्यादा थी। गौरतलब है कि 2020 में कोरोना के चलते नगर कीर्तन ना निकालने जाने का फैसला किया गया था।
वहीं गुरू के प्रति आस्था इस हद तक थी कि करीब 100 लोग श्री गुरू ग्रंथ साहिब की पालकी के आगे-आगे नंगे पांवों झाडूओं से रास्ते की सफाई करने में जुटे थे। नगर कीर्तन के दौरान जगह-जगह लंगर और ठंडे मीठे जल के स्टाल लगे हुए थे। बाबे के विवाह पर्व को लेकर सोमवार को बटाला के सभी गुरूद्वारों को सजाया गया था औैर गुरूद्वारों में गुरूबाणी का प्रवाह चल रहा था।
बटाला स्वागती गेटों और होडि़गों से भरा पड़ा था। नगर कीर्तन में ट्रैक्टर- ट्रालियों पर बैठी महिलाओं के कीर्तन जत्थे गुरू की बाणी का गुनगान करने में मस्त थे। बाबे के विवाह को लेकर बटाला शहर खचाखच भरा हुआ था क्योंकि बटाला के आस-पास के ग्रामीण क्षेत्रों के लोग सोमवार सुबह करीब चार बजे ही बटाला पहुंच गए थे। रविवार को बाद दुपहिर गुरूद्वारा कंध साहिब में तिल रखने के लिए भी जगह नही थी क्योंकि हरेक श्रद्धालु युगों से स्थापित ऐतिहासिक कच्ची कंध के दर्शन करने के लिए उत्सुक था। सारा दिन बटाला में नगर कीर्तन के दौरान गहमा-गहमी रही। सडक़ों के किनारे पर रागी,टाढ़ी,प्रचारक और कविशर गुरू नानक जी के जीवन और आर्दशों के बारे में लोगों को जानकारी दे रहे थे। नगर कीर्तन गुरूद्वारा डेहरा साहिब से शुरू होकर पूरे शहर से गुजरते हुए देर शाम को गुरूद्वारा डेहरा साहिब में ही समाप्त हो गया।